Header Ads Widget

Responsive Advertisement

Ticker

6/recent/ticker-posts

कोविड में दिल्ली से ऋषिकेश साइकल यात्रा | भाग दस – हरिद्वार

भाग दस – हरिद्वार 


उसके बाद साइड में जंगल आने लगे, बोर्ड लगे नजर आने लगे जिन पर लिखा था गुलदार से सावधान, देखकर बड़ा रोमांचित महसूस हुआ वही एक पेड़ पड़ा था, मैंने फिर वहां रुक कर उस पेड़ पर बैठ कर, घर से लाया पास्ता खाया और फेसबुक लाइव किया, बीच में फिर एक जगह पेट्रोल पम्प दिखा तो वहां से पानी पिया और पानी की बोटल भरी, पैसा कायकू खर्च करना 


वहीँ कहीं मैंने मेरी फिटनेस वाच का जो मैंने उस दिन फोटो खींचा था जो मैंने यहाँ भी डाला है, उसके अनुसार मैं 188 किलोमीटर 2 बजकर 17 मिनट तक पूरा कर चुका था, हरिद्वार मेरे घर से दौ सो है तो यानि लगभग 2:30 बजे तक मैं हरिद्वार पहुँच गया था |


तत्पश्चात मैं फिर बढ़ चला, थकान बिलकुल नहीं लग रही थी, फिर तो हरिद्वार आ गया हरिद्वार का वो पुल जहाँ से ॐ वाला पुल दिखाई देता है, पहाड़ दिखने लगते हैं, इस जगह पहुँच कर अन्दर से फिलिंग आ गई कि पहुँच ही गया अब तो, दिल एक दम प्रफुल्लित हो गया था, वहां रोक कर साइकल साइड में लगा कर एक फोटो ली और फिर आगे बढ़ चला मन तो बहुत था कि हरिद्वार में रुकू, लेकिन मेरा लक्ष्य उस दिन ऋषिकेश पहुंचना था समय से | लगभग चार बजे मैं ऋषिकेश पहुँच गया था, वहां से मैंने सारा ऋषिकेश शहर पार किया और तपोवन की तरफ बढ़ चला 


पहाड़ पर अब चढ़ाई आनें लगी थी और अब मुझे थकान सी होने लगी थी, बीच रास्ते में गुरुद्वारा आया, पर अब मैं आदित्य भाई के बताए लैंडमार्क को देख रहा था, कि तभी मुझे इतनी साइकल टाईट चलती महसूस हुई कि मेरी इस पूरी यात्रा में थकान नहीं हुई उतनी उस १५ मिनट में हो गई पसीने टपक गए चेहरे से टप टप पसीना टपक गया, आगे बढ़ते बढ़ते अब बसावट भी कम् होती जा रही थी, तो मैंने एक पुलिस वाले से पूछा तपोवन कहाँ है उन्होंने कहा पीछे रह गया, ओहो...... जोश जोश में मैं आगे आ गया ... भाई अब मैं थक चुका था अच्छे से, अब बस बिस्तर चाहिए था और नहाने को गरम पानी यही सोचते हुए सपने देखते हुए मैं बैगपैकर पांडा के आस पास पहुँच गया जहाँ आदित्य भाई ने मुझे बताया था वहां पहुँच कर मैंने उन्हें कॉल की कि मैं पहुँच गया हूँ अब बताओ कहाँ आना है, उन्होंने कहा एक काम करो इस ऊपर जाते रास्ते पर चढ़ते चले आओ, रास्ता सही है ये जान कर कि घर पास ही है मैं मंजिल पर लगभग पहुँच गया हूँ, फिर से थकान गायब हो गई और मैं साइकल को पैदल ऊपर ले जाने लगा, यहाँ चढ़ाई पहाड़ों की रोड से भी काफी ज्यादा थी | आजू बाजू घर, होटल और दुकाने थी उन्ही घर में से एक पहाड़ी बच्चा मुझे साइकल पैदल चढाते देख बोला, मैं तो चला के ऊपर ले जाता हूँ, ये सुनकर मैं उसकी तरफ देख मुस्कुराया और बोला शाबाश ... 


अंतत : आगे चल कर आदित्य भाई मुझे खड़े मिल गए,  और घर तक ले गए उन्होंने कहा काफी जल्दी आ गए, चलो अब आराम करो, हमने साइकल घर के बाहर लॉक से बाँध दी और बैग उतारा और बाकी लाईट, स्पीकर सभी को ऊपर रूम में ले जा के पटका, और जाते ही गरम पानी से नहाया, तशरीफ़ का दम निकला हुआ था...... खैर खूब नहा धोने के बाद मैं और आदित्य भाई बाते करने लगे, उन्होंने कहा क्या लोगे मैक्स भाई, सीधा खाना या चाय या कॉफ़ी, मैंने कहा न चाय न कॉफ़ी मैं खुद ले लूँगा किचन से जो मुझे चाहिए, मैं किचन में गया और एक बोटल में पानी भरा उसमे चार चम्मच चीनी डाली, एक चम्मच नमक और अच्छे से मिक्स किया उसके बाद बाते करते हुए सिप सिप करके वो द्रव्य पिया और वो पूरी रात में मैंने वैसे मिश्रण की दो, तीन  बोतले समाप्त की 


और अगले दिन यात्रा समाप्त से लेकर अगले दिन तक पूरे शरीर से जो गर्मी निकल रही थी, उसके लिए तपोवन के छोटे जलप्रपात में ठन्डे पानी में पैर डाल कर बैठ गया, , तो बरफ जैसे पानी ने टांगो को आइस बाथ वाला ट्रीटमेंट दिया जो अक्सर एथलीट वगरह लोग लेते हैं |


#yayavar #yayavar_max #delhitorishikesh #mikkimax

Post a Comment

0 Comments