कहाँ जाए कहाँ जाए सोचते सोचते, आज चल दिए लोधी गार्डन,
लोधी गार्डन के इतिहास पर नजर डालने पर हम पाते है कि इस गार्डन का परिदृश्य पहली बार सामने उस वक्त आया, जब 1414 में सैय्यद राजवंश के दूसरे शासक मोहम्मद शाह का मकबरा अलाउद्दीन आलम द्वारा यहां निर्मित करबाया गया था। वर्ष 1517 में सिकंदर लोधी का मकबरा उनके पुत्र इब्राहिम लोधी ने यहां बनबाया था। इब्राहीम लोधी, लोधी वंश के अंतिम शासक थे। मुगल वंश के तीसरे सम्राट अकबर ने इस बगीचे को वेधशाला के रूप में इस्तेमाल किया था। अंग्रेजो ने भी इस महत्वपूर्ण स्थान के महत्व को माना और नियमित रूप से ब्रिटिश राज के तहत यहां पर जीर्णोद्धार किया। हालाकि भारत के गवर्नर जनरल की पत्नी मर्कुएस ऑफ विल्लिंगडॉन ने इस खूबसूरत गार्डन को उजाड़ दिया था। 9 अप्रैल 1936 को पार्क के उद्घाटन के समय इसे ‘लेडी विलिंगडन पार्क’ नाम दिया गया और भारत की आजादी के बाद इसे लोधी गार्डन के नाम से संबोधित किया गया।
लोधी गार्डन की संरचना बहुत ही शानदार और देखने लायक हैं। आइए हम आपको लोधी पार्क की वास्तुकला, प्राकृतिक आकर्षण और मानव निर्मित सुंदरता का एक शानदार संगम प्रस्तुत करते है। लोधी गार्डन के बीच में बारा गुंबद है जोकि एक बड़े मलबे वाला गुंबद है। हालाकि बारा गुम्बद कोई मकबरा नही हैं बल्कि तीन गुंबद वाली मस्जिद के निकट का रास्ता है। बारा गुंबद के फ्रंट में एक ग्लास डोम है जिसे इसकी खूबसूरत चमकदार टाइलों के लिए जाना जाता हैं। लोधी गार्डन में बनी छत में कुरान शिलालेख के साथ प्लास्टर का काम है, जोकि हिंदू और इस्लामी वास्तुकला प्रतिनिधित्व करता है। पार्क की सबसे दिलचस्प बात यहां के ग्लास डोम में रखे गए एक अज्ञात परिवार के अवशेष हैं। जिसका निर्माण सिकंदर लोदी के समय के दौरान किया गया था। गार्डन में एक सुंदर जलकुंड होने के अवशेष मिलते हैं जोकि यमुना नदी को सिकंदर लोदी के मकबरे के साथ जोड़ता हैं। मुगल सम्राट अकबर के द्वारा सात शक्तिशाली मेहराब का निर्माण भी यहां किया गया था। सैय्यद वंश के अंतिम शासक मोहम्मद शाह का मकबरा यहां के सबसे बड़े मकबरों में से एक हैं।
लोधी गार्डन का आकर्षण अथपुला सिकंदर लोदी के मकबरे के पूर्वी भाग में स्थित है। इसका निर्माण सम्राट अकबर के शासन काल में करबाया गया था। अथपुला एक पत्थर का पुल है जोकि बगीचे में एक छोटे से जलमार्ग पर मेहराब और खंभे के रूप में हैं।
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